2025 गन्ना बकाया और भुगतान जानकारी: संपूर्ण गाइड

उत्तर प्रदेश में गन्ना कुछ चीनी मिल अभी भी चल रही हैं, जबकि कुछ को बंद कर दिया गया है। सत्र 2024-25 में, उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने रिकॉर्ड पेराई की और अधिक मुनाफा कमाया। पिछले वर्षों में सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन हुआ और गन्ने की पेराई की गई, जिससे किसानों को कोई बड़ी परेशानी नहीं हुई। चुनाव के मद्देनजर, सरकार ने गन्ने के मूल्य में 20 रुपये प्रति कुंतल बढ़ोतरी का फैसला किया था, लेकिन इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के किसान सरकार के इस निर्णय से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थे।

इस साल, पिछले कई वर्षों से गन्ने के मूल्य में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी, जिससे किसानों ने विभिन्न स्थानों पर धरना-प्रदर्शन किया। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने सत्र 2023-24 में गन्ने की कीमत में 20 रुपये प्रति कुंतल बढ़ोतरी की, लेकिन किसानों की वास्तविक मांग 400-500 रुपये प्रति कुंतल की थी।

2025 में गन्ने का भुगतान कब तक मिलेगा?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की थी कि गन्ने का भुगतान किसानों को 14 दिन के भीतर किया जाएगा। हालांकि, कुछ चीनी मिलों ने इस नियम का पालन नहीं किया और 14 दिनों के बाद गन्ने का भुगतान किया। इसके अलावा, कुछ मिलों पर किसानों का 6 महीने से लेकर 1.5 साल तक का गन्ना भुगतान बकाया पड़ा है।

कुछ मामलों में गन्ना सोसाइटी द्वारा भुगतान में देरी हो रही है। अब गन्ना सोसाइटी खुद किसानों को गन्ने का भुगतान कर रही है। चीनी मिल से गन्ना भुगतान गन्ना सोसाइटी के पास 14 दिनों में पहुंचता है, जिसके बाद वे 14 दिन और रखकर किसानों को भुगतान कर रही हैं। इस वजह से भी किसानों में असंतोष देखा जा रहा है। मुजफ्फरनगर और मुरादाबाद के कुछ किसानों का 1 साल तक का बकाया है।

गन्ने के बढ़े हुए दाम का भुगतान कैसे होगा?

मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने सत्र 2023-24 में गन्ने के भाव में 20 रुपये प्रति कुंतल की वृद्धि की, जिससे अब गन्ने का मूल्य 350 रुपये प्रति कुंतल से बढ़कर 370 रुपये प्रति कुंतल हो गया है। गन्ना विभाग पहले 350 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से किसानों को भुगतान कर रहा था, लेकिन बाद में गन्ने की कीमत में यह बढ़ोतरी की गई।

अब, 3 महीने के बाद सरकार ने बढ़े हुए 20 रुपये प्रति कुंतल की राशि किसानों को भेजना शुरू कर दिया है, लेकिन कुछ मिलों ने अभी तक इस राशि का भुगतान नहीं किया है। सरकार किसानों को उनका गन्ना भुगतान 14 दिन के भीतर भेजने का प्रयास कर रही है, लेकिन कुछ मिलें अभी भी भुगतान में देरी कर रही हैं।

उत्तर प्रदेश में चीनी मिल कब बंद होंगी?

भारत में सबसे ज्यादा गन्ना उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। गन्ने को किसान नवंबर से लेकर अप्रैल तक चीनी मिलों तक पहुंचाते हैं। उत्तर प्रदेश में अभी भी 92 चीनी मिलें चल रही हैं, जबकि कुछ मिलों को बंद कर दिया गया है, क्योंकि उन क्षेत्रों में गन्ने की पेराई पूरी हो चुकी थी। मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, मुरादाबाद, हापुड़ और अमरोहा जैसे क्षेत्रों में अभी भी अधिकतर मिलें चल रही हैं।

गन्ना विभाग मिलों को गन्ने की सप्लाई के हिसाब से बंद करने का फैसला करता है। जब तक सभी किसानों का गन्ना पेराई नहीं हो जाता, तब तक सरकार द्वारा मिलें बंद नहीं की जातीं। हालांकि, कुछ मिलें 20 अप्रैल तक भी चलती हैं। अब, किसानों को ज्यादा से ज्यादा पर्चियां मुहैया कराई जा रही हैं, ताकि वे अपना गन्ना जल्दी से जल्दी सप्लाई कर सकें।

किसानों को मिल बंद होने से पहले सूचना दी जाती है। यह सूचना संदेश के जरिए दी जाती है, ताकि जिन किसानों के पास बकाया गन्ना बचा हो, वे मिल में अपना गन्ना ला सकें और उसे पेराई के लिए जमा कर सकें।

निष्कर्ष

गन्ने के भुगतान और मिलों के बंद होने का समय किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद, कुछ मिलों में देरी हो रही है और किसानों को अपनी मेहनत का उचित भुगतान नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, सरकार लगातार इस मुद्दे पर ध्यान दे रही है और किसानों के लिए बेहतर समाधान लाने की कोशिश कर रही है।

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