गन्ने की खरीद की तारीख का ऐलान, किसानों को मिलेंगे संदेश, जानें पूरी जानकारी

गन्ने उगाने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। सरकार जल्द ही किसानों से सब्सिडी मूल्य पर गन्ना खरीदना शुरू करेगी। इस बार प्रशासन ने किसानों की सुविधा पर विशेष ध्यान दिया है। किसानों को पहले एक नोटिस मिलेगा और उसके बाद ही उन्हें अपना गन्ना पेराई के लिए लाना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें अपनी फसल बेचने में कोई कठिनाई न हो। राज्य सरकार हर साल किसानों से सरकारी कीमत पर गन्ना खरीदती है। इसके लिए राज्य स्वतंत्र रूप से किसानों के लिए गन्ने का एसएपी (SAP) मूल्य निर्धारित करता है और बाद में किसानों से गन्ना खरीदा जाता है। गन्ना एसएपी (राज्य परामर्श मूल्य) हमेशा केंद्र द्वारा प्रकाशित गन्ना एफआरपी (Sugarcane FRP Price) से अधिक होता है। प्रत्येक राज्य में राज्य सरकार वहां उगाए जाने वाले गन्ने का एसएपी निर्धारित करती है। हरियाणा में इस समय गन्ने का एसएपी 372 रुपये प्रति क्विंटल है, जो केंद्र द्वारा निर्धारित एफआरपी (उचित और लाभकारी मूल्य) 315 रुपये से काफी अधिक है। देशभर में पंजाब और हरियाणा में किसानों को गन्ने की सबसे ज्यादा कीमत मिल रही है।

गन्ना खरीद प्रक्रिया कब शुरू होगी?

राज्य सरकार के अनुसार, 2023-2024 में नवंबर का पहला सप्ताह गन्ना पेराई परियोजना की शुरुआत का प्रतीक होगा। ऐसी परिस्थिति में किसानों को नवंबर के प्रथम सप्ताह में किसी भी तिथि से गन्ना पेराई शुरू करने के लिए कहा जा सकता है। राज्य प्रशासन ने इसके लिए योजनाएं बनाई हैं, जिसमें किसानों के मोबाइल उपकरणों पर ऑनलाइन संचार और संदेश भेजना शामिल है, ताकि उन्हें किसी भी कठिनाई या देरी का अनुभव न हो।

निर्धारित दिन पर किसान पेराई के लिए अपना गन्ना लेकर आएंगे। सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल के अनुसार, मिल तक गन्ना पहुंचाने वाले किसानों की सुविधा के लिए मोबाइल फोन पर ऑनलाइन संदेश भेजने की योजना बनाई गई है, ताकि उन्हें अपनी उपज बेचने में कोई दिक्कत न हो। उन्होंने कहा कि किसानों को मात्र 10 रुपये की उचित कीमत पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की भी योजना बनाई गई है।

इस बार गन्ने की पेराई कितनी होगी?

सहकारिता मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष 10% रिकवरी रेट के साथ 424 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने दावा किया कि सरकार चीनी मिलों की उत्पादकता और क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है। राज्य की सभी सहकारी चीनी मिलों को एक साथ समूहित करके इथेनॉल संयंत्र बनाने की रणनीति शुरू की गई है, जिससे मिलों को अधिक आर्थिक ताकत मिलेगी। शाहाबाद की चीनी मिल में इथेनॉल प्लांट का संचालन शुरू हो गया है और जल्द ही पानीपत में भी इथेनॉल प्लांट बनेगा।

एफआरपी और एसएपी रेट में अंतर क्या है?

केंद्र और राज्य हर साल किसानों के लिए एफआरपी और एसएपी कीमतों की घोषणा करते हैं। कई राज्यों में किसानों से अलग-अलग कीमतों पर गन्ना खरीदा जाता है। इसका कारण राज्य सरकार द्वारा गन्ना मूल्य को अपने स्तर पर बढ़ाना है। केंद्र द्वारा जारी एफआरपी पूरे भारत में एक समान है। राज्य अपने स्तर पर गन्ने की कीमत बढ़ाकर किसानों को नुकसान से बचाने के लिए स्थानीय कीमत के अनुसार किसानों को गन्ने की कीमत देने का प्रयास करते हैं। एफआरपी केंद्र का न्यूनतम गन्ना समर्थन मूल्य है, जबकि एसएपी राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए बढ़ाया गया मूल्य है। हमेशा, एसएपी एफआरपी से अधिक होता है।

2023-2024 के लिए किस राज्य का क्या है गन्ने का मूल्य?

विभिन्न राज्य सरकारों ने गन्ने की खरीद के लिए अलग-अलग कीमतें निर्धारित की हैं। ऐसे में कुछ राज्यों में किसानों को गन्ने की कीमत कम मिल रही है तो कुछ में ज्यादा। देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में गन्ने की कीमत इस प्रकार है:

  • हरियाणा में गन्ने की कीमत 372 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है।
  • पंजाब ने गन्ने की कीमत 380 रुपये प्रति क्विंटल तय की है।
  • उत्तर प्रदेश में गन्ने की कीमत 350 रुपये प्रति क्विंटल है।
  • उत्तराखंड में गन्ने की कीमत 355 रुपये प्रति क्विंटल है।
  • बिहार में गन्ने की कीमत 355 रुपये प्रति क्विंटल है।

किस राज्य में गन्ने का उत्पादन कितना होता है?

गन्ना उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष स्थान पर है। यह क्षेत्र हर साल भारत में सबसे अधिक 133.3 मिलियन टन गन्ना पैदा करता है। यूपी में गन्ना उद्योग में करीब 2.5 करोड़ लोग कार्यरत हैं। गन्ना उत्पादन की बात आती है, तो बिहार 14.68 मिलियन टन या देश के कुल उत्पादन का 4.17 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। गन्ना उत्पादन के मामले में हरियाणा छठे स्थान पर आता है। गुड़गांव, करनाल, फ़रीदाबाद, सोनीपत और रोहतक में गन्ना मुख्य रूप से उगाया जाता है। 1.3 लाख हेक्टेयर भूमि पर राज्य में 9.3 मीट्रिक टन का उत्पादन होता है। पंजाब में 6.6 मिलियन टन गन्ना उगाया जाता है। देशभर में गन्ना उत्पादक राज्यों की बात करें तो यह दसवें नंबर पर आता है। इसके अलावा, गन्ना उत्पादन में उत्तराखंड राष्ट्रीय स्तर पर 10वें स्थान पर है। यहां गन्ने का उत्पादन लगभग 6.4 मिलियन टन की मात्रा में होता है।

निष्कर्ष

गन्ने की खरीद की तारीख के ऐलान से उत्तर प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। सरकार द्वारा गन्ने की खरीद के लिए मोबाइल संदेश भेजने की योजना से किसानों को अपनी फसल बेचने में कोई कठिनाई नहीं होगी। इससे 45 लाख से अधिक गन्ना उगाने वाले किसान परिवारों को सीधा फायदा होगा। गन्ने की कीमत में वृद्धि और उचित योजना के साथ, किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी और उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा। यह कदम सरकार की कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की मदद करने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न:1 गन्ने की खरीद की तारीख कब से शुरू होगी?

उत्तर 1 गन्ने की खरीद की तारीख राज्य सरकार और संबंधित चीनी मिलों द्वारा तय की जाती है। इसकी आधिकारिक घोषणा स्थानीय प्रशासन या कृषि विभाग द्वारा की जाती है।

प्रश्न:2 किसानों को गन्ना खरीद की जानकारी कैसे मिलेगी?

उत्तर 2 किसानों को गन्ना खरीद की तारीख और अन्य जानकारी SMS के माध्यम से उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजी जाएगी। इसके अलावा, स्थानीय समाचार पत्र, रेडियो, और सरकारी पोर्टल्स पर भी यह जानकारी उपलब्ध होगी।

प्रश्न:3 गन्ना खरीद के लिए पंजीकरण कैसे करें?

उत्तर 3 किसानों को गन्ना खरीद के लिए अपनी नजदीकी चीनी मिल या संबंधित कृषि विभाग में पंजीकरण कराना होगा। कुछ राज्यों में यह प्रक्रिया ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भी पूरी की जा सकती है।

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